सन 1989 में कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना के साथ महाविद्यालय में हिन्दी विषय के अध्यापन की शुरुवात हुई । वर्तमान में हिन्दी विभाग का वटवृक्ष विस्तृत होकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन-अध्यापन के द्वारा हम हिंदी भाषा के प्रसार-प्रचार आंदोलन में सक्रीय सहभाग ले रहे है । महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, शहरी हिस्सों में भी हिंदी की स्थिति उतनी संतोषजनक नहीं है। इस कारण हमारा सदैव प्रयास रहा है, की हिंदी को उसी तरह पढ़ा-समझा और अपनाया जाए, जैसे भारत के अन्य इलाकों में। हमारा प्रयास यही रहा है कि विद्यार्थियों की हिंदी भाषा में न सिर्फ रूचि रहे बल्कि भाषा का अध्ययन करते हुए वे मौलिक लेखन की ओर अग्रेसर हो। कुछ नया करने की उम्मीद में सुझाव आमंत्रित धन्यवाद ....
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सोमवार, 24 जुलाई 2017
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सन 1989 में कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना के साथ महाविद्यालय में हिन्दी विषय के अध्यापन की शुरुवात हुई । वर्तमान में हिन्दी विभाग का वटवृक्ष विस्तृत होकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन-अध्यापन के द्वारा हम हिंदी भाषा के प्रसार-प्रचार आंदोलन में सक्रीय सहभाग ले रहे है । महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, शहरी हिस्सों में भी हिंदी की स्थिति उतनी संतोषजनक नहीं है। इस कारण हमारा सदैव प्रयास रहा है, की हिंदी को उसी तरह पढ़ा-समझा और अपनाया जाए, जैसे भारत के अन्य इलाकों में। हमारा प्रयास यही रहा है कि विद्यार्थियों की हिंदी भाषा में न सिर्फ रूचि रहे बल्कि भाषा का अध्ययन करते हुए वे मौलिक लेखन की ओर अग्रेसर हो। कुछ नया करने की उम्मीद में सुझाव आमंत्रित धन्यवाद ....
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